Friday, August 12, 2011

rishte

जब रिश्तों के पन्नों में से
चाहत की स्याही मिट जाए
और कोरे कागज़  की मानिंद
कुछ भी न उसमें नज़र आये

क्या ऐसे रिश्ते की खातिर
खुद को तडपाना अच्छा है?
आंसू की तुम्हारे कदर नहीं
वहां खुद को रुलाना अच्छा है?

रिश्ते तो दिल से होते हैं
जब दिल उचटा रिश्ता टूटा
फिर चाहे लाख जतन कर लो
जुड़ता ही नहीं जो दिल टूटा......

neer

नीर है जीवन...
कहीं यह प्यास है इक घूँट की..
नीर है जीवन....
कहीं यह आस है इक ठूंठ की..

बूँद की ही राह तकता
रोज़ ही प्यासा चकोर
बूँद ही तो फेर देती
रंग की कूंची हर ओर

जल बिना जीवन नहीं है
जान लो इस सत्य को 
इसके रक्षण में है जीवन
मान लो इस तथ्य को.......