जब रिश्तों के पन्नों में से
चाहत की स्याही मिट जाए
और कोरे कागज़ की मानिंद
कुछ भी न उसमें नज़र आये
क्या ऐसे रिश्ते की खातिर
खुद को तडपाना अच्छा है?
आंसू की तुम्हारे कदर नहीं
वहां खुद को रुलाना अच्छा है?
रिश्ते तो दिल से होते हैं
जब दिल उचटा रिश्ता टूटा
फिर चाहे लाख जतन कर लो
जुड़ता ही नहीं जो दिल टूटा......