Tuesday, April 5, 2011

Bitiya

पहली बार तुम्हें जब देखा,
कुछ नया नया महसूस हुआ.
नन्ही आँखों से, हाथों से,
अनसुना सा एक पैग़ाम मिला.

"मैं तुमसे ही उपजी हूँ माँ,
है अंश तुम्हारा ही मुझ में.
तेरी ही धड़कन की धक् धक्,
है तेरा ही लहू मुझ में."

जब बाँहों मैं भर कर तुझको,
अपने सीने से लगा लिया .
तेरी धड़कन मेरी धड़कन,
यह फ़र्क भी मैंने मिटा दिया .

तेरे नन्हे नन्हे हाथों ने,
तब आँचल को मेरे थामा.
उस पल ममता के मतलब को 
मैंने वास्तव में पहचाना. 

इक अंदर से आवाज़ उठी.
यह तेरी ही परछाई है.
तेरे ही खून ने सींचा है,
तुझसे ही जीवन पाई है.

इस नन्ही जान को इस पल से ,
हर दुःख से तुझे बचाना है .
चाहे अपनी जान पे बन आये,
पर इसको पार लगाना है.

जो तुम चाहो तो चमकेगी,
जो तुम चाहो मुस्काएगी.
नन्ही सी कलि तेरे हाथों की ,
फूलों की तरह खिल जाएगी.

कल पढ़ लिख कर सारे जग मैं,
जब करेगी रोशन नाम तेरा.
गौरव से छाती फूलेगी,
जब माँ उसकी कहलाएगी.

हर भले बुरे का मतलब तुम 
उसको अच्छे से सिखा देना.
अगली पीढी इस दुनिया की,
उससे ही जीवन पायेगी.......

उससे ही जीवन पायेगी .
जाने कब आज के लोगों को यह बात समझ में आएगी .........................................